स्क्रीन टूटने और बटन ख़राब होने की स्थिति में अमरीकी फ़र्म की इस सर्विस की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही है.
बाज़ार के इस नए खिलाड़ी 'आई-क्रैक्ड' को उम्मीद है कि ग्राहकों के पास सीधे तकनीशियनों को भेजने से उसकी बाज़ार पर पकड़ मजबूत होगी.
कंपनी कभी-कभी तो घंटे के भीतर ही अपने तकनीशियन को कस्टमर के पास भेज देती है.
लेकिन इसके आलोचकों ने अभी से ही इसके असर को लेकर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है.
लागत?
यह कंपनी पहले से ही अमरीका के 250 शहरों में कारोबार कर रही है और जैसा कि नाम से जाहिर होता है उसकी सेवाएं ज्यादातर एपल प्रोडक्ट्स के लिए होते हैं लेकिन वे सैमसंग के भी कुछ मॉडल्स को भी ठीक करते हैं.
फ़र्म का कहना है कि ख़राब स्मार्टफ़ोन को रिपेयर करने की लागत अलग-अलग हो सकती है लेकिन यह औसतन 57 पौंड या साढ़े पांच हज़ार रुपये के करीब होती है.
'आई-क्रैक्ड' के फाउंडर एजे फ़ोर्सिद कहते हैं, "ज़्यादातर लोगों के लिए स्मार्टफ़ोन उनके जीवन का एक हिस्सा बन जाता है. इसलिए जब ये टूटता है तो उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी पर बहुत असर पड़ता है."
2010 में हुई शुरुआत के बाद आज आईक्रैक्ड के लिए अमरीका में तकरीबन एक हज़ार तकनीशियन काम करते हैं.
वेब और ऐप

ब्रिटेन में फ़िलहाल इसकी सेवाएं लंदन तक सीमित हैं और कंपनी का इरादा अगले साल तक तकनीशियनों की संख्या बढ़ाकर 30 से 100 करना है.
कस्टमर चाहें तो आईक्रैक्ड की वेबसाइट या इसके ऐप के जरिए किसी तकनीशियन को बुला सकते हैं.
हालांकि आलोचक कहते हैं कि इस तरह की सेवाएं पहले से बाजार में मौजूद हैं और स्क्रीन टूटने की सूरत में उसे तकनीशियन से एपॉन्यटमेंट तो लेना ही होगा.
उधर एपल ने इस पर कुछ कहने से मना कर दिया लेकिन इसकी वेबसाइट टूटे हुए स्मार्टफ़ोन के लिए उपभोक्ताओं से आधिकारिक सेंटर पर जाने की सलाह दी हुई है.
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