Skip to main content

कहीं आपका स्मार्टफोन भी नकली तो नहीं ! ऐसे करें पहचान

Image result for मोबाइल
आज मार्केट में स्मार्टफोन्स की बाढ़ सी आ गई हैं। बड़े से बड़ा ब्रैंड एक से एक लुभावने डिस्काउंट ऑफर कर रहा है। ऐसे में आप पीछे क्यों रहें, जल्द ही आप भी इनका फायदा उठाकर एक ब्रैंडेड स्मार्टफोन खरीद लेते हैं, पर ये क्या, जैसे स्पेसिफिकेशन ऑफर के टाइम पढ़े थे, वैसा कुछ इस्तेमाल के बाद नहीं दिख रहा। कहीं फोन नकली तो नहीं, अब डिस्काउंट फायदा उठाकर स्मार्टफोन खरीदा जाता है। दरअसल, आज बाजार में फिर चाहे वह ऑफलाइन हो या ऑनलाइन ढ़ेरों नकली फोन बिक रहे हैं। रंग, डिजाइन और फीचर्स बिल्कुल असली की तरह होते हैं, इन्हें देखकर कोई भी आसानी से धोखा खा सकता है, फिर आखिर इस परेशानी का हल क्या है। कैसे बचें नकली फोन लेने से? 


इस समस्या का भी हल है, इन तरीकों को अपनाएं और खुद को नकली फोन खरीदने से बचाएं: - 

1. डिस्काउंट के पीछे बिना सोचे न भागें: आज ब्रैंडेड फोन्स पर भी भारी डिस्काउंट मिल रहा है। इन ऑफर्स के लालच में न आएं। खरीदारी से पहले पता करें कि सेम डिवाइस के लिए ऑफलाइन या ऑनलाइन क्या कीमत दी जा रही है। डिस्काउंट देने के पीछे कारण क्या है , क्या बाकी स्टोर्स या ऑनलाइन स्टोर्स पर भी सेम डिस्काउंट उपलब्ध है। जहां, भी आपको थोड़ा भी शक लगे, स्मार्टफोन की खरीदारी से बचें।

2. स्मार्टफोन के कलर और साइज पर दें ध्यान: जब भी आप ऑफलाइन या ऑनलाइन शॉपिंग करें तो सबसे पहले जिस फोन को खरीदने की सोच रहे हैं उसके रंग, आकार, स्टाइन और लुक के बारे में वेबसाइट पर अच्छी तरह पड़ताल कर लें। ध्यान दें, खरीदने वाली डिवाइस को कंपनी ने किन रंगों और स्टाइल्स में निकाला है। नकली फोन ज्यादातर विभिन्न रंगों में उपलब्ध होते हैं और कुछ के रंग अगर वेबसाइट के मॉडल से मिल भी रहे होंगे तो भी उसमें असली स्मार्टफोन के रंग से थोड़ा-बहुत अंतर होगा, इतना ही नहीं ध्यान से देखने पर आपको आकार में भी अंतर दिख जाएगा।

3. कंपनी द्वारा दिए फीचर्स और फंक्शनैलिटी पर ध्यान दें: असली फोन के फीचर्स और फंक्शनैलिटी उतने ही होगें जितना कंपनी ने बताया है लेकिन नकली फोन में आपको लुभाने के लिए इनमें इजाफा किया जा सकता है। इसलिए फोन खरीदने से पहले जांच लें कि स्मार्टफोन में कंपनी द्वारा बताएं गए फीचर्स उपलब्ध है कि नहीं।
4. हार्डवेयर बटन पर ध्यान दें: अक्सर नकली फोन में हार्डवेयर बटन असली फोन की जगह पर नहीं मिलता। खरीदारी से पहले फोटोग्राफ देखकर ध्यान दें कि हार्डवेयर बटन स्मार्टफोन में कहा दिया गया है। ठीक से जांचे की क्या इसका स्थान और स्टाइल वही है जो असली स्मार्टफोन की पिक्चर में दिख रहा है।
5. स्मार्टफोन की पैकेजिंग और मॉडल पर ध्यान दें: मनचाहे फोन को खरीदने से पहले ध्यान दें कि उसकी पैकेजिंग कैसी है, मॉडल क्या है और डिवाइस पर कंपनी का लोगो है या नहीं। असली फोन की पैकेजिंग बहुत सफाई और सुरक्षित तरीके से की गई होती है जबकि नकली फोन में पैकेजिंग की क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, इतना ही नहीं असली फोन के डब्बे के ऊपर स्मार्टफोन से जुड़ी सभी जानकारियां जैसे- मॉडल का नाम, आइएमइआइ नंबर और बार कोड छपा मिलेगा। कंपनी का लोगो ध्यान से देखने पर पता चल जाएगा कि असली डिवाइस के जैसा है या उसमें कुछ अंतर है क्योंकि नकली फोन में कंपनी के लोगो में थोड़ा-बहुत अंतर जरूर होता है।
6. डिवाइस का वजन जांचेअसली फोन का वजन और नकली फोन का वजन अलग होगा, इसके लिए स्मार्टफोन को हाथ में लेकर महसूस करें कि उसका वजन कितना है और क्वालिटी कैसी है, हालांकि इस बात का अंदाजा केवल तभी लगा सकते हैं जब फोन ऑफलाइन खरीद रहें हो, ऑफलाइन खरीदारी में इसकी संभावना नहीं है।
7. फोन की वारंटी और गारंटी को जांचे: असली फोन में कंपनी यानि फोन मेकर की ओर से वारंटी और रिप्लेसमेंट गारंटी होगी, जबकि नकली फोन में अक्सर विक्रेता वारंटी या फिर किसी थर्ड पार्टी की तरफ से वारंटी-गारंटी मिलेगी। इसलिए जब भी फोन खरीदें सुनिश्चित करें कि गारंटी और वारंटी कौन दे रहा है।
8. विक्रेता का नाम और रेटिंग जांचे: जब भी आप ऑनलाइन या ऑफलाइन खरीदारी करें तो विक्रेता का बैकग्राउंड और नाम जांच लें। कंपनी द्वारा चीजें ऑफलाइन कम ही बेची जाती है। ऑनलाइन पर अक्सर विभिन्न विक्रेता इन्हें बेचते हैं, वहीं वस्तुओं को अपलोड करते हैं। इसलिए ध्यान दें कि ऑनलाइन साइट ने उस विक्रेता को क्या रेटिंग दी है। जैसे- अगर अमेजन से फोन खरीद रहें है तो देखे अमेजन फुलफील रेटिंग है कि नहीं और यदि फ्लिपकार्ट से कुछ खरीद रहे हैं तो विक्रेता का फ्लिपकार्ट एडवांटेज रेटिंग देखें। इसमें इनके गोदाम का सामान होता है और नकली होने की संभावना लगभग न के बराबर होती है।
9. आइएमइआइ नंबर जांचे: आइएमइआइ नंबर प्रत्येक फोन में उपलब्ध होता है। आइएमइआइ नंबर को *#06# पर डायल करके जांच सकते हैं।असली फोन में यह नंबर डिवाइस और डब्बे पर एक समान होगा। मतलब अगर फोन डबल सिम का है तो उसके दो आइएमइआइ नंबर होंगे। ये नंबर डिवाइस और डब्बे दोनों पर अंकित होंगे, अगर नंबर में जरा भी फर्क महसूस हो तो समझ लें कि फोन नकली है।
10. एप की मदद से फोन जांचे: स्मार्टफोन के हार्डवेयर के बारे में जानकारी देने के लिए एंड्रायड के लिए बहुत से एप्लीकेशन उपलब्ध है। सीपीयू-जेड एक ऐसा ही एप है। जब भी आप ऑनलाइन या ऑफलाइन फोन की शॉपिंग करें तो ऐसे ही एप्स की मदद से फोन की असलियत जांच ले। ये एप नकली फोन की पहचान के लिए बहुत उपयोगी है, इतना ही नहीं अगर आपने क्विकर और ओएलएक्स जैसी वेबसाइट्स से सेकंड हैंड फोन खरीदा है, तो ऐसे में यह एप्लीकेशन बहुत यूजफुल साबित होगी।

Comments

Popular posts from this blog

The top 10 events of world history april flower!

 In this article we are going to talk about april flower events! By the way, there is no need to work very hard to find this topic because on this day everyone tries to make each other an april flower. The first date of April is celebrated as Fool's Day. That too worldwide! Although there is a delay in the month of April, but today we are going to talk about the April flower events before that, with the help of which you can come up with ideas and you can make others April flowers Well, this is just a matter of fun but today we will talk about some of the fun events of history that took place on the day of April Fool! So let's know! 01 When the tradition of april flower started! Symbolic photo There is a lot of belief about how the tradition of celebrating April Fool's Day on the first day of April began, but the popular belief is that this practice originated in medieval France. The reason for this was the Gregorian calendar, prepared by Christianity's Pop Gregory 13, ...

स्मार्टफोन का पासवर्ड भूल गए हैं तो डरें नहीं, ऐसे करें अनलॉक

स्मार्टफोन का पासवर्ड भूल गए हैं तो डरें नहीं, ऐसे करें अनलॉक

जायफल: स्वादिष्ट मसाले का खून भरा इतिहास

जायफल: स्वादिष्ट मसाले का खून भरा इतिहास आज हम ऐसे मसाले की बात करने वाले हैओ जिसे आम तौर ख़िर में छिड़का जाता है । जी हाँ , जायफल की ! आपको शायद ताजुब्ब होगा कि ज्यादातर लोग शायद इसकी उत्पत्ति के बारे में विशेष रूप से कुछ नही जाने हैं ।समें कोई संदेह नहीं है – यह सुपरमार्केट में मसाला गलियारे से आता है, है ना? लेकिन इस मसाले के पीछे दुखद और खूनी इतिहास छुपा छह है । लेकिन सदियों से जायफल की खोज में हजारों लोगों की मौत हो गई है। जायफल क्या है? सबसे पहले हम जानते है कि आखिर ये जायफ़ल है क्या ? तो ये नटमेग मिरिस्टिका फ्रेंगनस पेड़ के बीज से आता है । जो बांदा द्वीपों की लंबीसदाबहार प्रजाति है जो इंडोनेशिया के मोलुकस या स्पाइस द्वीप समूह का हिस्सा हैं। जायफल के बीज की आंतरिक गिरी को जायफल में जमीन पर रखा जाता है ।जबकि अरिल (बाहरी लेसी कवर) से गुदा निकलता है। जायफल को लंबे समय से न केवल भोजन के स्वाद के रूप में बल्कि इसके औषधीय गुणों के लिए भी महत्व दिया गया है। वास्तव में जब बड़ी मात्रा में जायफल लिया जाता है तो जायफल एक ल्यूकोसिनोजेन है जो मिरिस्टिसिन नामक एक साइकोएक्टिव केम...