
स्वराज्य प्राप्ति के बाद भारतीय विद्वानों का घ्यान आधुनिक भाषाओं के साहित्यों के सभी अंगों को पूरा करने की ओर गया और आधुनिक भारतीय भाषाओं में विश्वकोश निर्माण का श्रीगणेश हुआ। इसी क्रम में नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी ने सन् 1954 में हिंदी में मौलिक तथा प्रामाणिक विश्वकोश के प्रकाशन का प्रस्ताव भारत सरकार के सम्मुख रखा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया और उसकी पहली बैठक 11 फरवरी 1956 में हुई और हिंदी विश्वकोश के निर्माण का कार्य जनवरी 1957 में प्रांरभ हुआ। सन् 1970 तक 12 खंडों में इस विश्वकोश का प्रकाशन कार्य पूरा किया गया। सन् 1970 में विश्वकोश के प्रथम तीन खंड अनुपलब्ध हो गए। इसके नवीन तथा परिवर्धित संस्करण का प्रकाशन किया गया।
राजभाषा हिंदी के स्वर्णजयंती वर्ष में राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) तथा मानवसंसाधन विकास मंत्रालय ने केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा को यह उत्तरदायित्व सौंपा कि हिंदी विश्वकोश इंटरनेट पर पर प्रस्तुत किया जाए। तदनुसार केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा तथा इलेक्ट्रॉनिक अनुसंधान एवं विकास केंद्र, नोएडा के संयुक्त तत्वावधान में तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त वित्तपोषण से हिंदी विश्वकोश को इंटरनेट पर प्रस्तुत करने का कार्य अप्रैल 2000 में प्रारम्भ हुआ। उपलब्ध प्रस्तुत योजना के अंतर्गत हिंदी विश्वकोश के मूलरूप को इंटरनेट पर प्रस्तुत करता है। अगले चरण में हिंदी विश्वकोश को अद्यतन बनाने का कार्य किया जाना प्रस्तावित है। इंटरनेट पर उपलन्ध हिन्दी विश्वकोश का यह अभी शून्य संस्करण है।
पेज- 565
भाषा- हिंदी
फोर्मेट- PDF
साइज़ - 120 एम्.बी.
किंमत - फ्री ( सभी से शेर करे)
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