राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जुलाई महीने में रिटायर हो रहे हैं. नया राष्ट्रपति कौन होगा, इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई है. राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है और इसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधि (सांसद-विधायक) वोट करते हैं. हाल में हुए पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से बीजेपी की स्थिति जहां मजबूत हुई है, वहीं विपक्ष भी एकजुट होने का प्रयास कर रहा है. पिछले कुछ दिनों में इस तरह की रिपोर्ट आई है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके लिए कई नेताओं से मुलाकात की है.
राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के मनोनित सदस्यों को वोट करने का अधिकार नहीं होता है. इसमें सियासी दल के प्रतिनिधि अपनी पार्टी के व्हिप से बंधे नहीं होते. विधायकों के वोट की वैल्यू राज्यों के हिसाब से होती है. सांसदों के वोट का वैल्यू तय होता है. चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के हिसाब से होता है. हर वोटर को प्रत्याशियों के लिए अपनी पसंद की वरीयता तय करनी होती है.
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव करवाने के पीछे संविधान में दो कारण बताए गए हैं:-
1- सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व हासिल हो - अनुच्छेद 55 (1)
2. राज्यों और संघ (केंद्र) के प्रतिनिधित्व में समरुपता सुनिश्चित करने के लिए - अनुच्छेद 55 (2)
आइए जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता, वोटों की क्या वैल्यू है और किसी पार्टी की क्या स्थिति है...
राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल के द्वारा होता है. इसमें लोकसभा के 543 सांसद, राज्यसभा के 233 सांसद और राज्यों की विधानसभा में निर्वाचित प्रतिनिधि (एमएलए-एमएलसी) के साथ-साथ दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभा के भी निर्वाचित प्रतिनिधि वोट करते हैं.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की गिनती इस फॉर्मूले से होती है...
> एक विधायक के वोट की वैल्यू- राज्य के कुल निर्वाचित विधायक × 1000 (राज्य की कुल जनसंख्या (1971 की जनगणना के अनुसार)
> विधानसभा के कुल विधायकों के वोट की वैल्यू- एक विधायक के वोट की कीमत× विधानसभा में मौजूद निर्वाची सीटों की संख्याऑ
> 31 राज्यों के विधायकों के वोट की कुल वैल्यू- राज्यों के सभी विधायकों के वोट की कीमत का योगफल = 549474ऑ
> सांसद के वोट की वैल्यू = सभी विधायकों के वोट की वैल्यू का योगफल (549474)
> संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की कुल संख्या (776) =708
> सभी सांसदों के वोट का कुल वैल्यू = एक सांसद के वोट का मोल × सांसदों की कुल संख्या = 549408
> निर्वाचक मंडल के वोटों का कुल मोल= सभी विधायकों के वोटों का कुल मोल + सभी सांसदों के वोटों का कुल मोल =549474 + 549408 = 1098882
जिस प्रत्याशी को वोटर पहली पसंद मानता है उसके नाम के आगे 1 लिखता है. इसी तरह 2,3,4,5 और आगे (कैंडिडेट के हिसाब से) वह वरीयता देता है. हालांकि, यहां वोटर अपनी शेष वरीयता का इजहार नहीं भी कर सकता है, क्योंकि इसे वैकल्पिक रखा गया है. जिस प्रत्याशी को वैध पाए गए वोटों का '50 प्रतिशत + 1' (प्रथम वरीयता वाले का कोटा) हासिल होता है, वह चुनाव जीत जाता है.
यह कोटा कम होता है तो जिस प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के वोट सबसे कम मिले हों उसे सूची से हटा दिया जाता है. इसके बाद दूसरी वरीयता के जितने वोट हासिल होते हैं, उन्हें शेष प्रत्याशियों में बांट दिया जाता है. सूची से प्रत्याशियों को बाहर हटाने की प्रक्रिया तब तक जारी रहती है, जबतक कि किसी एक को विजयी होने लायक कोटा हासिल न हो जाए.
सर्वाधिक कम वोट हासिल करने वाले प्रत्याशी को सूची से बारी-बारी हटाने के बाद भी अगर किसी प्रत्याशी को कोटे का जरूरी वोट नहीं मिलता है तो अंत में एक प्रत्याशी ही सूची में बचा रह जाता है. उसे ही राष्ट्रपति पद का विजयी उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है.
अब इस टेबिल से जानिए किस राज्य के वोट का कितना है मोल

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