एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। सर्वे जुलाई से शुरू होकर जून 2018 तक चलेगा।
क्या और क्यों जानना चाहती है सरकार
सरकार जानना चाहती है कि भारत में लोग ऑनलाइन शॉपिंग कैसे करते हैं, किन चीजों की खरीदी के लिए ईकॉमर्स वेबसाइट्स का रुख करते हैं? शहरों के साथ ग्रामीण स्तर पर भी यह जानकारी जुटाई जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इससे महंगाई पर नजर रखने में भी मदद मिलेगी। सर्वे के तहत 5000 छोटे-बड़े शहरों और 7000 गावों को कवर करते हुए 1.2 परिवारों से बात की जाएगी। राज्यवार भी डाटा जुटाया जाएगा।
रेड-सिअर कंसल्टिंग के अध्ययन के अनुसार, भारत में 2016 में ईकॉमर्स सेक्टर 14.5 बिलियन डॉलर का था। हालांकि यह आंकड़ा इतना बड़ा नहीं है कि देश की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सके, लेकिन सरकार भविष्य की रणनीति देखते हुए यह आंकड़ा जुटाने जा रही है।
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए राहत भरी खबर है जीएसटी
जीएसटी देश में तेजी से बढ़ रहे ई-कॉमर्स कारोबार की राह आसान करेगा। इसके लागू होने पर टैक्सेशन और लॉजिस्टिक्स से जुड़े तमाम मुद्दों का हल निकालने में मदद मिलेगी। एक अध्ययन में यह बात कही गई है।
सीआईआई-डेलॉयट ने देश में ई-कॉमर्स उद्योग पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि यह तेजी से बढ़ा है, लेकिन कई चुनौतियां सामने आई हैं। इनमें टैक्सेशन, लॉजिस्टिक्स, पेमेंट, इंटरनेट की पहुंच और कुशल श्रम शक्ति की समस्याएं प्रमुख हैं।
टैक्सेशन का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एकसमान टैक्स स्ट्रक्चर नहीं होने की वजह से देश में वस्तुओं के मुक्त प्रवाह में बाधा आती है। दोहरा-कराधान जैसे मुद्दे भी इसी का नतीजा हैं। हालांकि, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से एकसमान टैक्स स्ट्रक्चर के जरिये ऐसी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
जीएसटी में ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन के लिए स्पष्ट नियम और इन नियमों को बनाने में सलाहकार दृष्टिकोण सरकार और ई-कॉमर्स कंपनियों दोनों के पक्ष में होगा।
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