हालांकि, फोन स्लो होने की वजह कभी भी उसका पुराना होना नहीं होती। बल्कि, फोन का हार्डवेयर स्पेसिफिकेशन और सॉफ्टवेयर के साथ यूजर द्वारा की जाने वाली कुछ गलतियां भीं शामिल होती हैं।
रैम का कम होना :
मार्केट में अब 8GB रैम वाले स्मार्टफोन भी आ रहे हैं। रैम ज्यादा होने से मल्टीटास्किंग के दौरान भी ये स्लो या हैंग नहीं होते। इतना ही नहीं, इन फोन को रिस्टार्ट करने की भी जरूरत नहीं होती। हालांकि, जब बात 4 से 5 साल पुराने हैंडसेट में 512MB से 1GB रैम ही होती है। ऐसे में जब इन फोन की मेमोरी फुल होने लगती है या फिर इनमें मल्टीटास्किंग की जाती है, तो ये स्लो और हैंग होने लगते हैं।
क्या करें : जिन फोन में रैम कम है उनमें डाटा कम होना चाहिए। साथ ही, सिर्फ काम के ऐप्स इन्स्टॉल हों और ज्यादा स्पेस वाले ऐप्स को भूलकर भी इन्स्टॉल नहीं करें।
एप्लिकेशन ओपन होना :
ये गलती लगभग सभी यूजर्स से होती है। जब भी स्मार्टफोन में कोई ऐप्स ओपन किए जाते हैं तो यूज करने के बाद अक्सर यूजर उसे बैक कर देते हैं। उन्हें लगता है कि ऐप बंद हो गया, लेकिन वो मिनीमाइज होकर बैकग्राउंड में ओपन रहते हैं। यानी वे लगातार एक्सेस करते हैं और बैटरी से लेकर फोन की रैम को कंज्यूम करते हैं। जिसके चलते फोन धीरे-धीरे स्लो हो जाता है।
क्या करें : जब आप किसी ऐप को ओपन करें तब उसे यूज करने के बाद प्रॉपर क्लोज करें। इसके लिए End Key को टैप कर ऐप बंद करें। कई फोन में ये काम अलग की से होता है।
एप्लिकेशन अपडेट करना :
आपके फोन में रैम 521MB या 1GB और मेमोरी 4GB या 8GB है, तो फिर फोन में इन्स्टॉल ऐप्स को अपडेट नहीं करें। फोन की इंटरनल मेमोरी ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स के लिए अलग होती है। यानी यूजर को कभी भी पूरी इंटरनल मेमोरी नहीं मिलती। ऐसे में जब भी ऐप को अपडेट करते हैं तब वो मेमोरी में और भी ज्यादा स्पेस ले लेता है। ठीक उसी तरह, ऐप्स अपडेट होने से वो ज्यादा रैम कंज्यूम करता है। जिसके चलते फोन स्लो या हैंग होने लगता है।
क्या करें : फोन के सिर्फ वहीं ऐप्स को अपडेट करें जिनका रेगुलर यूज करते हों। फोन में ऐप्स के ऑटो अपडेट फीचर को प्ले स्टोर की सेटिंग में जाकर हमेशा के लिए ऑफ कर दें।
कैशे क्लियर नहीं करना :
कैश (CACHE) को शायद कई यूजर्स नहीं जानते हों। जब भी हम किसी ऐप का यूज करते हैं तो उससे जुड़ा टेम्परेरी डाटा स्टोर होता जाता है। जिसे कैशे कहा जाता है। इस डाटा फोन की रैम कंज्यूम करता है, साथ ही मेमोरी में भी स्पेस लेता है। ऐसे में जरूरी है कि इस डाटा को हर सप्ताह क्लियर करते रहें।
क्या करें : फोन की सेटिंग से ऐप्स में जाएं। यहां पर जब किसी ऐप के अंदर जाएंगे तब क्लियर कैश और क्लियर डाटा के दो ऑप्शन आते हैं। यूजर को कैशे क्लियर कर देना चाहिए।
APK फाइल इन्स्टॉल करना :
कई ऐप्स ऐसे होते हैं जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं होते। हालांकि, इन्हें थर्ड पार्टी या फिर APK फाइल की मदद से फोन में इन्स्टॉल किया जा सकता है। ये ऐप्स हमेशा रिस्की रहते हैं। एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम कभी थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टॉल करने की इजाजत नहीं देता, इसके बाद भी कई यूजर्स इन्हें इन्स्टॉल कर लेते हैं। इनसे फोन स्लो और हैंग होने का साथ डाटा लीक होने का भी खतरा होता है।
क्या करें : कभी भी थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टॉल नहीं करें। सिर्फ वही ऐप्स इन्स्टॉल करें जो गूगल प्ले पर मौजूद है। कभी भी वाई-फाई या ब्लूटूथ की मदद से ऐप्स को फोन में इन्स्टॉल नहीं करें।
एंटीवायरस या क्लीनर ऐप का यूज :
कई यूजर्स ऐसा मानते हैं कि फोन में एंटीवायरस या क्लीनर ऐप इन्स्टॉल करके उसकी स्पीड बढ़ाई जा सकती है। साथ ही, फोन की हैंगिंग प्रॉब्लम भी दूर हो जाएगी। हालांकि, ऐसा नहीं है। फ्री एंटीवायरस से फोन की सिक्युरिटी पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। दूसरी तरफ, वो फोन की मेमोरी में स्पेस ले लेते हैं। एंटीवायरस ऐप्स लगातार फोन को स्कैन करते हैं ऐसे में लगातार रैम कंज्यूम होती है और फोन स्लो होने लगता है।
क्या करें : आपके फोन में एंटीवायरस या क्लीनर ऐप है तो उसे तुरंत अनइन्स्टॉल करें। फोन का यूज ट्रस्टेड सोर्स के साथ होता है तो उसमें वायरस आने का खतरा नहीं होता।
मेमोरी कार्ड में ऐप ट्रांसफर :
फोन की इंटरनल मेमोरी में स्पेस करने के लिए कई यूजर्स मेमोरी कार्ड में ऐप्स का ट्रांसफर कर देते हैं। ऐसा करने से इंटरनल मेमोरी में स्पेस तो हो जाता है, लेकिन फोन की बूटिंग प्रॉसेस बढ़ जाती है। दरअसल, जब ऐप्स को मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर किया जाता है तब उन ऐप्स को ओपन करने पर फोन मेमोरी कार्ड को सर्च करता है। क्योंकि, ये मेमोरी का सेकंड प्लेटफॉर्म होता है ऐसे में फोन इसे रीड करने में थोड़ा वक्त लेता है।
क्या करें : मेमोरी कार्ड में ऐप का ट्रांसफर नहीं करना चाहिए। हो सके तो फोन के वीडियो, ऑडियो, फोटो या अन्य फाइल को मेमोरी कार्ड में शिफ्ट करें।
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