- हाइजिंन मेंटन- टंग क्लीनिंग भी ब्रश की तरह ही हाइजिंन मेंटन करने का जरिया है. ये डेड स्किन सेल्स को खत्म करता है. इसके साथ ही ये बैक्टीरिया, टॉक्सिंस, फंगस और जमे हुए फूड को जीभ के आसपास से बाहर निकालता है. मुंह से आने वाली बदबू का जिम्मेदार कुछ हद तक ये बैक्टी रिया भी होते हैं जो टंग के आसपास जमे रहते हैं.
- डेंटल हेल्थ- जीभ को साफ करने से कई तरह के हेल्थ इश्यू भी दूर होते हैं. जैसे इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है. डायजेशन में हेल्प मिलती है. डेंटल हेल्थ ठीक रहती है. अगर आप रोजाना टंग क्लीन नहीं करते तो आपको कई तरह की हेल्थ कंडीशंस से गुजरना पड़ सकता है.
- मुंह से स्मैल- अगर आप जीभ साफ नहीं करते तो मुंह से बदबू आने लगती है. दरअसल, टंग रोजाना क्लीन ना करने से बैक्टीरिया जीभ पर जमने लगते हैं और कुछ समय बाद मुंह से स्मैल आने लगती है.
- गम डिजीज़- जीभ साफ करने से ना सिर्फ टंग रिलेटिड प्रॉब्लम्स होने लगती हैं बल्कि गम डिजीज़ होने का कारण भी ये बनता है. कई बार जब आप ब्रश करते हैं तो मुंह से ब्लड आने लगता है. हम सोचते हैं कि गम रिलेटिड प्रॉब्लम्स की वजह से ऐसा हो रहा है. ये सच है कि ऐसा होता है लेकिन हर मामले में ऐसा नहीं होता. ये मसूड़ों में सूजन की वजह से भी हो सकता है जो एक टंग रिलेटिड प्रॉब्लम है. इससे गम्स रेड हो जाते हैं उनमें स्वैलिंग होने लगती है और ब्लड आने लगता है.
- दांतों पर इफेक्ट- टंग क्लीन ना करने से गम्स वीक हो जाते हैं. ऐसे में बैक्टीरिया आसानी से गम्स पर अटैक करते हैं. दांतों पर इसका लंबे समय तक इफेक्ट रहता है. ऐसे में दांत गिरने का भी डर रहता है. अगर आप चाहते हैं कि ऐसा ना हो आपको रोजाना जीभ साफ करनी चाहिए. लंबे समय तक दांतों को डैमेज से बचाने के लिए रोजाना टंग क्लीजन करें.
- टेस्ट सेंस- क्या कई बार आपको खाने में टेस्ट बिगड़ा हुआ आता है? ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि आप बैक्टीरिया के कारण अपना टेस्ट ऑफ सेंस भूल चुके हैं. दरअसल, डेड स्किन और वेस्ट फूड जीभ पर चिपक जाता है जिसमें कुछ समय बाद बैक्टीरिया आने लगते हैं. इससे फूड का टेस्ट भी बिगड़ा-बिगड़ा लगता है.
- यीस्ट इंफेक्शन- बहुत सी महिलाओं को प्राइवेट पार्ट में यीस्ट इंफेक्शन होता है लेकिन क्या आप जानते हैं ये यीस्ट इंफेक्शन जीभ में भी हो सकता है. जब मुंह में बैक्टीरिया लेवल हाई हो जाता है तो यीस्ट नैचुनरली बिल्ड करने लगता है. ऐसी टंग क्लीन ना करने की वजह से होता है. एंटीफंगल मेडिकेशन से भी यीस्ट इंफेक्शन खत्म किया जा सकता है.
- पेरिओडांटल डिजीज़- टंग के बैक्टीरिया दांतों में भी ट्रांसफर हो सकते हैं. अगर गम्स का ठीक से इलाज ना करवाया जाए तो इंफ्लेमेशन पेरिओडांटल डिजीज़ में बदल जाती है. ये बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है.अब तो आप समझ गए होंगे कि टंग क्लीन ना करने से क्या नुकसान हो सकते हैं.
जायफल: स्वादिष्ट मसाले का खून भरा इतिहास आज हम ऐसे मसाले की बात करने वाले हैओ जिसे आम तौर ख़िर में छिड़का जाता है । जी हाँ , जायफल की ! आपको शायद ताजुब्ब होगा कि ज्यादातर लोग शायद इसकी उत्पत्ति के बारे में विशेष रूप से कुछ नही जाने हैं ।समें कोई संदेह नहीं है – यह सुपरमार्केट में मसाला गलियारे से आता है, है ना? लेकिन इस मसाले के पीछे दुखद और खूनी इतिहास छुपा छह है । लेकिन सदियों से जायफल की खोज में हजारों लोगों की मौत हो गई है। जायफल क्या है? सबसे पहले हम जानते है कि आखिर ये जायफ़ल है क्या ? तो ये नटमेग मिरिस्टिका फ्रेंगनस पेड़ के बीज से आता है । जो बांदा द्वीपों की लंबीसदाबहार प्रजाति है जो इंडोनेशिया के मोलुकस या स्पाइस द्वीप समूह का हिस्सा हैं। जायफल के बीज की आंतरिक गिरी को जायफल में जमीन पर रखा जाता है ।जबकि अरिल (बाहरी लेसी कवर) से गुदा निकलता है। जायफल को लंबे समय से न केवल भोजन के स्वाद के रूप में बल्कि इसके औषधीय गुणों के लिए भी महत्व दिया गया है। वास्तव में जब बड़ी मात्रा में जायफल लिया जाता है तो जायफल एक ल्यूकोसिनोजेन है जो मिरिस्टिसिन नामक एक साइकोएक्टिव केम
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